वैसे तो मैं बहुत ही कलेजेदार हूँ
पर एक बात में
बिलकुल ही बेकार हूँ
स्वीकार करता हूँ मैं सबके सामने
लड़कियों के मामले में
मैं बिलकुल ही कच्चा हूँ
बात करने में मैं बेहद ही डरता हूँ
हालांकि कई दोस्तों ने
समझाया बुझाया
कि लड़कियां मन की कच्ची होती हैं
बातों में पक्की होती हैं
बस यही बात मेरी समझ में आ गई
मेरी बुद्धि ही चकरा गई
सोचा ट्राई करूँ एक बार
पर डर रहा था मैं
कहीं सैंडिल न पड़ जाए मुझ पर कई बार
खैर
मन पक्का किया
सोचा बोल दूँ मैं मन की बात
अपने मनप्रीत से
शुरू में डरा फिर बोला
यूँ सोचकर
जब मुझे मेरे मनप्रीत का
उत्तर मिला
मैं हैरान और हतप्रभ रह गया
उसके दिल की बातों को
गहराई में जाकर देखा
हंसपड़ा मैं
सोच कर सब
कि मेरी ही बातों को
यूँ सतरँगी धनुष में
जोड़कर, मोतियो को पिरोकर
मुझे ही वापस कर दिया गया
प्यार भरी उन नज़रों को
मैं हैरानी से देख रहा था
मन ही मन कुछ सोच रहा था
आंख खुली तो
सुबह हुई थी चिड़ियों की चहचाहट से
हंस पड़ा मैं सोचकर
जो बातें सपने में देखी थी
अक्सर सच होती है
सुबह स्वप्न की बाते
सोचकर यह मैं
भविष्य में खो गया
Pankaj Sharma is one of the world's premier speakers on Leadership and Personal Mastery. As a presenter, Sharma has the rare ability to electrify an audience yet deliver uncommonly original and useful insights that lead to individuals doing their best work, teams providing superb results and organizations becoming unbeatable. Pankaj Sharma is also a Research Scientist.
Wednesday, September 19, 2018
हिम्मत
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" Sometimes an idea's time arrives. In the late 1940s, the idea that randomness can be a powerful tool arrived in New Jer...